
उस गुमशुदा की तलाश अभी तक जारी है .....
अब दिल की खामोशियाँ भी कीर्तन कर रही है ..
कोने मैं छुपी हुई आस परदे से झांक रही है ...
उसके इंतजार मैं जो जिंदगी हमारी है ..
उस गुमशुदा की तलाश अभी तक जारी है .....
सपने तो आते है, पर नींद कहाँ आती है ..
उसकी आहट अब पल- पल हमें जगाती है ..
कब आएगी सामने , जिसे कहूँगा "ये जान हमारी है "
उस गुमशुदा की तलाश अभी तक जारी है .....
उस अंजान हमसफ़र के बिना ,रास्ता हटने लगा है पैरो तले,
अपने जीवन की नैया का, वो केवट हम खोजने चले
किस कोने पर मिलेगी वो ,जाने क्या किस्मत हमारी है
उस गुमशुदा की तलाश अभी तक जारी है .....
जिन्दगी की कोई शाम, अब हमें नहीं लुभाती है
अब कान्हा की मुरली भी, हमें नहीं सुहाती है
किस ब्रज मैं भटक रही ,वो राधा प्यारी है
उस गुमशुदा की तलाश अभी तक जारी है .....
हमें तो अभी भी आसमान साफ़ दिखता है
हमें तो अभी भी चाँद मैं चाँद दिखता है
कब आएगी वो रात, जिसके चाँद की चांदनी हमारी है
उस गुमशुदा की तलाश अभी तक जारी है .....
देखना है ,वो कब सुनता है मन्नत मेरी
आँखों मैं कब आएगी जन्नत मेरी
कल तक तुम्हारी थी ,अब हमारी बारी है
उस गुमशुदा की तलाश अभी तक जारी है .....
कई लोगो ने मुझसे ये कहा और कई लोग ऐसा सोचते भी है --
लोग कहते है- नहीं हो तुम खिलाडी इस प्रेम खेल के
क्यों अजमाते हो किस्मत, इतना सब झेल के ..
मैं कहता हूँ -
खेलूँगा मैं , मिले तो वो जिसके लिए मेरी जिंदगी की पारी है
उस गुमशुदा की तलाश अभी तक जारी है .....
PS : This poem is dedicated to all my single friend who are ready to mingle (i.e.- Rohitra ,Nitin ,Natu ,Cross,Pitara, Daggu n many more {Chhotu Excluded })
- I hope many people have got the answer by last 5 lines.
-सौरभ श्रीवास्तव
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