
छोडो उस बात को यारों उसे चार वरस बीत गये ...
नए साथी मिले थे ..नए रिश्ते बने थे,
नई उम्मीदों के साथ हम पड़ने चले
थे,
देखते ही देखते वो दिन हवा हो गये ॥
छोडो उस बात को यारों
उसे चार वरस बीत गये ...
जब घर की याद सताने लगती थी
जब एक दिन रुकना भी बेईमानी लगता था
तब दोस्तों के कंधो को हम अपना बनाते चले गये
छोडो उस बात को यारों उसे चार वरस बीत गये ...
जब रेगिंग का डर दिल मैं लगा रहता था ...
रूम कालिंग यमराज का बुलावा लगता था,
सीनियर को देखते ही हमारे रास्ते बदल गये ,
छोडो उस बात को यारों उसे चार वरस बीत गये ...
जब रात रात भर हम बतियाते थे
रेगिंग देकर लौटे सूरमा अपनी वीर गाथा सुनते थे
दिल के कोने मैं छुपे उस दर्द को हम पीते चले गये
छोडो उस बात को यारों उसे चार वरस बीत गये ....
ED Hall जहन्नुम का दरवाजा लगता था
PC एक राग पुराना लगता था
Workshop के दिए घावो को भी हम सींते चले गये
छोडो उस बात को यारों उसे चार वरस बीत गये ...
नही भूले हम.....
KSD ,BND के खूंखार चहरो को
वो मुस्की की "लाली" ,वो आभा "निराली"
I सिन्हा के क्लोरोफोर्म को भी हम पीते चले गये
छोडो उस बात को यारों उसे चार वरस बीत गये ...
वो पंडा बेकार , अनीता मोहन मक्कार
Physics ,Chem Math हमें कभी न भये
Environmental Science को हम अपना बनाते चले गये
छोडो उस बात को यारों उसे चार वरस बीत गये ...
CS ,Dota नही आते थे हम carom से काम चलते थे
lappy, Dappy के वगैर हम Walkman पर ही सो जाते थे
वो जीवन के सुनहरे दिन कही धुआं हो गये
छोडो उस बात को यारों उसे चार वरस बीत गये ...
Center पर चलो ,Center पर चलो
वो आवाज डरावनी लगती थी
एक GF की आस मैं ,जिन्दगी सुहावनी लगती थी
उस याद मैं हम अपना वक्त खोते चले गये
छोडो उस बात को यारों उसे चार वरस बीत गये ...
आज याद आते है वो पल
दिन भर हाहा हीही हूहू
वो हसना हसाना ,वो बातें बनाना
उन सुनहरे पालो को हम सजोंते चले गये
छोडो उस बात को यारों उसे चार वरस बीत गये ...
कोई लौटा सकता है वो लम्हे
वो फ्रेशेर की मस्ती ,वो अस्सी की कस्ती
वो मेस को गरियाना , वो bunk के बहाने सुझाना
वो afternoon classes की नींदे ,वो बारिस के बूंदें
उन GPL की लातों मैं भी हम प्यार पाते चले गये
छोडो उस बात को यारों उसे चार वरस बीत गये ...