Saturday, October 31, 2009

क्या लिखूं.....


क्या लिखूं.....

सोचा आज जीवन के कुछ नगमे लिखूं
पल-पल की खुशी ,कुछ पुराने सदमे लिखूं
नही थी आसान जिंदगी किसी मोड़ पर
उसे खुशगवार बनाने वाले वो लम्हे लिखूं .....


सफलता की खुशी का अहसास लिखूं
गमो की दस्तक का आभास लिखूं
जिंदगी अभी भी बेचैन है उस खास के लिए
उसको पाने को वो तड़प वो प्यास लिखूं ...


अपनो की सच्चाई या गैरो का साथ लिखूं
फूलों की गुडिया या वो बच्चा अनाथ लिखूं
इस भूले को कुछ राह दे ऐ खुदा
औरों पर खुशियों की मैं बरसात लिखूं.....

-© सौरभ

3 comments:

  1. waah... fir se dil ko sann se choo jane wali panktiyan.. apka vistar prashansneeye hai. bhaav uttam hain aur shabdo ne bakhooobi sath nibhaya hai.. shubhkamnayein 'us khaas ke liye'.. in panktiyo me aap bahut kuch keh gaye aap..

    फूलों की गुडिया या वो बच्चा अनाथ लिखूं
    इस भूले को कुछ राह दे ऐ खुदा
    औरों पर खुशियों की मैं बरसात लिखूं.....

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  2. Dil bag bag ho gaya....dhanya ho...

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  3. वाह हुज़ूर
    अब तो आप पक्के लेखक हो गए जी
    बधाई कवि महोदय

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